Marham

Vishal Mishra

तुम्हारे बदन की महक ख्वाब सी ह
मैं चाहूँ कि इस में ही खोई रह
मैं सुबहों को बाहों में अपनी छुपाक
तेरे साथ यूं ही मैं सोई रह
पूरे दिन बस तुझे देखते देखत

पहले भी मैं तुमसे मिली ह
पहली दफा ये मिलके लग
तुने छुआ ज़ख़्मों को मेर
मरहम मरहम दिल पे लग

पागल पागल हैं थोड
बादल बादल हैं दोन
भीगें बरसे आ दोनों ज़र

पहले भी मैं तुमसे मिली ह
पहली दफा ये मिलके लग
ह्म्म


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